जब घोर अन्धेरा छाया हो
समझो कि सवेरा दूर नही।
जब विष की ज्वाला फैल गये
विष्णु की विराटता दूर नही
रक्षा करेगा स्वयं वही
आवेगा चाहे मन्थन ही सही
जब मन्नत मांग्ता कोई भक्त
तो मंदिर से मन मे आवेंगे
तुम्हें घोर कलि से उतारेंगे
केवटिया हैं वे निर्मल हृदयों के
दरिया पार करावत् हैं,
वे आवत हैं।।
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